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जबलपुर के बिलहरी क्षेत्र में संचालित करूणा नवजीवन रिहैबिलेशन सेंटर (Karuna Navjeevan Rehabilitation Center) की मान्यता जिला कलेक्टर ने रद्द कर दी है। करुणा नवजीवन रिहैबिलिटेशन सेंटर में अनाथ बच्चों को जबरन ईसाई धर्म (Christianity) की प्रार्थनाएं और बाइबिल पढ़ाया जा रहा था। जिसके बाद संस्था के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पूरे मामले की जांच के बाद जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा (District Collector Karmaveer sharma) ने संस्था की मान्यता निरस्त कर दी। जिसके बाद अब रिहैबिलेशन सेंटर में रहने बाले 7 दिव्यांग बच्चों को उज्जैन शिफ्ट किया जाएगा। संस्था के खिलाफ गोपनीय शिकायत मिलने के बाद 18 नवबंर को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) नई दिल्ली की टीम एंव राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सद्स्य देवेंद्र मोरे की अगुवाई में सेंटर का निरीक्षण किया गया था। जांच में वहुत सारी अनिमितताए मिली थी।
मान्यता किशोर न्याय अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड नहीं
बाल संरक्षण आयोग की टीम के बाद 15 दिसंबर को निशक्तजन आयुक्त ने करुणा नव जीवन रिहैबिलेशन सेंटर का निरिक्षण किया था। निरिक्षण के दौरान मिली अनिमितताए और संस्था की मान्यता (Recognition) के लिए जरुरी शर्तो का पालन नही किये जाने पर संस्था का पंजीयन (registration) निरस्त करने की अनुशंसा की थी। संस्था की मान्यता 31 मार्च 2021 तक थी जिसका संस्था ने अप्रेल 2019 नवीनी करण (renewal) कराया था। नियम अनुसार संस्था की मान्यता किशोर न्याय अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड होनी चाहिए थी।
जांच में ये अनिमितताए आई सामने
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां बच्चों को बाईबिल (bible) पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है। सेंटर में 7-11 वर्ष और 12-18 वर्ष के लडकियों को रखा जाना पाया गया। सेंटर में दोनों उम्र के बच्चों को अलग-अलग रखना चाहिए। पर सेंटर में 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं और अन्य सेंटर में रहने वाले एक ही प्रांगण (courtyard) में निवासरत मिले।
बालिकाओं को उनके जैविक धर्म की जानकारी न देकर सिर्फ ईसाई धर्म के संबंध में पढ़ाया जा रहा था। सामाजिक जांच रिपोर्ट और बच्चों की काउंसलिंग (counseling) में भी इसकी पुष्टि हुई है। सेंटर में रह रही बालिकाओं को उनके धर्म के बारे में पूरी जानकारी है। बावजूद संस्था ने बालिकाओं के स्कूल, आधार कार्ड में सरनेम सालोमन करा दिया था।
बालिकाओं को उनके धर्म की बजाए ईसाई धर्म के बारे में जानकारी दी जा रही थी। बाइबिल पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा था। यह मध्य प्रदेश धर्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 की धारा 3 का उल्लंघन है। किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 41 के अनुसार संस्था पंजीकृत होना चाहिए, पर इस संस्था ने अपना पंजीयन नहीं कराया है।
राष्ट्रीय बाल आयोग की टीम की जांच में 12 विदेशी संस्थानों से फंड मिलने की बात कहीं गई है। पर मैनेजर अभिनव ने बताया कि विदेशी फंड नहीं, हां देशभर से जरूर लगभग 10 लाख रुपए की वार्षिक फंडिंग मिलती है। जबकि संस्था का मासिक खर्च सवा लाख रुपये से ज्यादा था।
सेंटर मे रह रहै 7 दिव्यांग भेजे जाएंगे उज्जैन
करुणा नवजीवन रिहैबिलेशन सेंटर की मान्यता निरस्त होने के बाद वहा रह रहै 07 मानसिक रुप से दिव्यांग बच्चों को उज्जैन के सेवाधाम आश्रम शिफ्ट किया जाएगा। जबलपुर में कोई मानसिक दिव्यांग विधालय पुर्नवास केंद्र न होने की बजह से इन्है उज्जैन भेजने का निर्णय लिया गया है। 7 दिव्यांगों में दो युवतिया और पांच युवक है। संस्था के द्वारा प्रशासन की अनुमति के बिना अनाथ बच्चों को रखा गया था। संस्था के मैनेजर के अनुसार उनके द्वारा प्रशासन से लगातार पंजीयन के लिए पत्राचार किया गया लेकिन अनुमति नही मिली।
दिव्यांगो के लिए नही था बाधारहित माहौल
सामाजिक न्याय विभाग की नि:शक्तजन अपनी टीम ने जब संस्था का निरिक्षण किया तो वहा दिव्यांगजनों को बाधारहित माहौल में नहीं पाया। यहां प्रथम मंजिल में उनके रहने की व्यवस्था की गई थी। स्थानीय पंजीयन लेने के बावजूद सेंटर में बेंगलुरू और उसके आस-पास के जिलों के ही दिव्यांगों को रखा गया था।
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